शिक्षा का हमारे जीवन में
बहुत ही महत्व है स्वामी विवेकानन्द के कथनानुसार शिक्षा मनुष्य के भीतर छुपे
सुप्त गुणों को जाग्रत कर उसे समाज एवं देश के लिए उपयोगी बनाती है |
येषां न विद्या न तपो न दानं
ज्ञान न शीलं न गुणो न धर्म: |
ते मृत्युलोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मॄगाश्चरन्ति ||
जिसके पास न विद्या हो, न तप हो, न दान हो, न शील, न गुण न धर्म हो, ऐसा
व्यक्ति इस लोक में मनुष्य के रूप में पशु के समान होता है |
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